सूखे से झूझती एक किसान की स्त्री के मन की हालत सूखे से झूझती एक किसान की स्त्री के मन की हालत
न वृक्ष, न हरियाली है, न ख़ुशबू, न गुलशन, न माली है, न भ्रमर है, ये कैसा है उपवन?' न वृक्ष, न हरियाली है, न ख़ुशबू, न गुलशन, न माली है, न भ्रमर है, ये कैसा है उप...
मेरे मन में आया, हम मानव ने इस हरी-भरी धरती को सूखा क्यो बनाया मेरे मन में आया, हम मानव ने इस हरी-भरी धरती को सूखा क्यो बनाया
नंगे पांव , गुज़रा था , हौले से , हरे रंग की चुन्नी में लिपटा, साया दिल अज़ीज। नंगे पांव , गुज़रा था , हौले से , हरे रंग की चुन्नी में लिपटा, साया दिल...
ओला,बारिश,सूखा,झंझावत,प्रदूषण. की और अंत में ओला,बारिश,सूखा,झंझावत,प्रदूषण. की और अंत में